tag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post2386667691068973194..comments2023-06-06T08:25:16.081-07:00Comments on उपस्थित: वह कौन है ?Upasthithttp://www.blogger.com/profile/14139346378568249916noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-30466868854102637302007-02-22T04:49:00.000-08:002007-02-22T04:49:00.000-08:00मै मासीजीवि जी से बिल्कुल सहमत हूमै मासीजीवि जी से बिल्कुल सहमत हूMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-8698005392664961652007-02-16T11:44:00.000-08:002007-02-16T11:44:00.000-08:00रचना बहुत अच्छी लगी । शायद प्रकृति है या शायद कुछ ...रचना बहुत अच्छी लगी । शायद प्रकृति है या शायद कुछ भी नहीं कोई भी नहीं । Perhaps everything happens just in a random manner for no rhyme or reason. Or perhaps, it is a power composed of all the little powers which r individually there in each and every living thing.<BR/>The poem is beautiful! :)<BR/>घुघूती बासूती <BR/>ghughutibasuti.blogspot.comghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-59019360426226759842007-02-11T07:07:00.000-08:002007-02-11T07:07:00.000-08:00साहित्यिक समीक्षा जार्गन का इस्तेमाल किया जाए तो ...साहित्यिक समीक्षा जार्गन का इस्तेमाल किया जाए तो कहना होगा कि रहस्यवादी हैं आपकी रचनाएं<BR/><BR/>स्वागतpuff and mishhttps://www.blogger.com/profile/12699425046342294671noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-40453371769122689902007-02-11T05:11:00.000-08:002007-02-11T05:11:00.000-08:00रवीन्द्र जी पहली बार आपकी कवितायें पढी | बहुत अच्छ...रवीन्द्र जी पहली बार आपकी कवितायें पढी | बहुत अच्छा लिखते हैं आप | यह कविता भी बहुत सशक्त है | मेरी बधाई स्वीकार करें और इसी तरह लिखते रहें |सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-58056004474971820962007-02-10T10:28:00.000-08:002007-02-10T10:28:00.000-08:00रिपुदमन पचौरी said...तेरे मन के अंतर में, जो रहा स...<B> रिपुदमन पचौरी said...</B><BR/><BR/><BR/>तेरे मन के अंतर में, <BR/>जो रहा सदा अविचल सा<BR/>जिसके स्मरण मात्र से, <BR/>यह देह हुआ है जल सा<BR/>जिसकी कीर्ती है भुवन में, <BR/>हर मनु-पुत्र के मन में<BR/>जिसके मधु स्पर्श से <BR/>तन हो जाता है अनल सा<BR/>वह प्रेम ही इक मात्र मार्ग है <BR/>बस शुन्य को पा जाने का<BR/><BR/>वह प्रेम सदा जीता करता जो, <BR/>अपरिचित को बैरी को<BR/>वह प्रेम सदा जीता करता जो, <BR/>द्वविधा को संकट को<BR/>वह प्रेम सदा जीता करता है, <BR/>हर अविनाशी के मन को<BR/>वह प्रेम ही एक मार्ग शेष है<BR/>अब स्वंय को पा जाने का<BR/><BR/><BR/>रिपुदमन पचौरीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-19020660277216794982007-02-07T20:20:00.000-08:002007-02-07T20:20:00.000-08:00है कोई क्या ? या प्रकृति कहें .. प्रकृति का नियम क...है कोई क्या ? या प्रकृति कहें .. प्रकृति का नियम कहें ? <BR/><BR/>वैसे अभिव्यक्ति अच्छी लगी ।Dr. Seema Kumarhttps://www.blogger.com/profile/16605133497857832550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-75996604665398864482007-02-04T10:40:00.000-08:002007-02-04T10:40:00.000-08:00कुछ पंक्तियां याद आ गईं
हरी हरी वसुन्धरा पे नीला ...कुछ पंक्तियां याद आ गईं<br /><br />हरी हरी वसुन्धरा पे नीला नीलाये गगन<br />कि जिसपे बादलों की पालकी उड़ा रहा पवन..........<br />ये किसने फूल फूल पे किया श्रन्गार है<br />ये कौन चित्रकार है ?राकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-1190966968959783762007-02-03T23:10:00.000-08:002007-02-03T23:10:00.000-08:00अति सुंदर.. विध्वन्स और सृजन .. प्रेम और विरह.. यह...अति सुंदर.. विध्वन्स और सृजन .. प्रेम और विरह.. यही तो उसके खेल हैं.. उसकी बातें वो ही जाने..वो एक असीम सत्य व्याप्त सारे जगत हम तो बस इतना जाने..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-21825700231403818642007-02-03T22:56:00.000-08:002007-02-03T22:56:00.000-08:00वही है वो, जादूगर जो सब कुछ बना कर तमाशा देखता है।...वही है वो, जादूगर जो सब कुछ बना कर तमाशा देखता है।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-57118911774597122582007-02-03T22:07:00.000-08:002007-02-03T22:07:00.000-08:00वह प्रकृति है
प्रवीण मिश्रवह प्रकृति है<br />प्रवीण मिश्रpraveenhttps://www.blogger.com/profile/01828397318088941982noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-30744977955767554072007-02-03T20:45:00.000-08:002007-02-03T20:45:00.000-08:00कोई जादूगर है....थोड़ा जादू मैने भी सीखा है...
नन्...कोई जादूगर है....थोड़ा जादू मैने भी सीखा है...<br />नन्हे बच्चों की आँखों में रोज़ ठहरता है.....<br />आँखे खोलो तो गायब....!!<br />बन्द करो तो आत्मा में दिखता है....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-252206863712482548.post-77632465290852775912007-02-03T18:55:00.000-08:002007-02-03T18:55:00.000-08:00इस महीने की पहली रचना लिखने के लिये बधाई!इस महीने की पहली रचना लिखने के लिये बधाई!Anonymousnoreply@blogger.com