"यह हॊदी थोरी नीची अऊ छोटि रहि गै है"....बप्पा उवाच। "ह्म्म्म्म, यहॆ हमहू कहे वाले रहन..", दर्शक रिप्लाइड।
सिपाही....
झाड़ झंखाड़......
झाड़ झंखाड़......
गांव के बाहर खेड़ा.....
ये लो दूसरा......
नहरिया आयी है......
पानी हियॊं भरि होई.....
ये सरकारी फ़िर भी असरकारी तालाब.....
सरकारी चीज है...दो बार नहीं आ सकती क्या....
कुक्कू नरेश और दादा.......
यह वो जगह जिसने ठाकुर तालाब को पुनः आबाद किया....
ये साहब इशारा कर रहे हैं, और इशारे का परिणाम उपर की फोटो......"यहकी लेऒ..यहि ते भरा है सब, तालम पानी.."
ये अपने दादा(चश्मे और इश्टाइल वाले) और राजू चाचा(दाढी और भोकाल वाले)....
पुनः....पर अधूरे....
ये अपने दादा(चश्मे और इश्टाइल वाले) और राजू चाचा(दाढी और भोकाल वाले)....
पुनः....पर अधूरे....
हवाई यात्रा करने वालों (शोहरत, पैसे और चकाचौन्ध पर बात करते हुये केवल फ़िल्मी बातें झाड़ने वालों), यह बैलगाड़ी है । बैलों के द्वारा खींचे जाने के कारण यह बैलगाड़ी कहलाती है । इसका यह जो हिस्सा आप देख रहे है, इस पर बैलगाड़ी का ड्राइवर(पाइलट भी चलेगा) भी बॆठता है, और बाकीयों को भी बैठा लेता है...जाने कैसे?
(फोटो इसलिये क्योंकि गांवों मे भी एक दुर्लभ वस्तु है, बैलगाड़ी...चलती दिखे कहीं तो एक फोटू हमे जरूर भेजें)
13 comments:
Captions with the pictures would have been really good.
आपका गाँव और घर काफी कुछ हमारे गाँव जैसा ही है.....
रवीन्द्र,
होली पर गाँव हो आए | सुन्दर गाँव के सुन्दर चित्रों की प्रदर्शनी ऐसे लगाई मानो रहस्यमय हो सब।थोड़ी देर शीर्षक अटपटे लगे फिर लगा हैदराबाद की साइबर-सिटी की प्रतिक्रिया है।किसी अंग्रेजी ब्लॉग में ये शीर्षक चलते।
लल्ला रविन्दर,
तुमाओ गांव देखो. अच्छो लगो .
हमउं नहरिया के पास के हैं. पढ़े-लिखे लोगन की बोली में 'निचली गंग नहर'या 'लोअर गेंगेज कैनाल' वाको नाम है. बस समझ लेओ तुमाए नगीचै के हैं.काऊ जमाने में हतो कानपुर ज़िला की सीमा सै सटो इटावा ज़िला को आखरी गांव.फिर भओ कानपुर देहात को हिस्सा. और अब शायद नओ ज़िला है औरैया.बस हुंअइं के हैं.
सो गांव की तस्वीरें देख कै छाती जुड़ाय गई.पर तस्वीरन को नामकरण कुछ विदेशी तर्ज़ पै धरो भओ लगो .
बढिया बढिया !!!
इसी कारण काफी दिनों से यहाँ पर उपस्थित नहीं थे…गाँव का यह "खुशहाल पक्ष" मनोरम लगा…। बधाई!!
gaaon, nadi aur khet dagriyaa,
oongh rahi holi ki dopehariyaa
pho-tun me saj rahey lalaaji,
har haal bhali lagey gaaon ki maati
good pic. work
keep it up
-renu.
बहुत सुन्दर । क्या फिर गाँव चले गए ?
घुघूती बासूती
मेरा गांव मंझेरिया कलां, उन्नाव है। उन्नाव के किसी भाई को ब्लॉग पर देखकर अच्छा लगा। मेरा मेल आईडी pankajshuklaa@gmail.com है, अपने बारे में बताएं...
hamar gaaon purva ka pass bhadnaag hi. naam to sunav hohiho.
e jo chasna pahina bhai hi e hamka janat hi agar mili jaya to kahao ki hamka mail karay.
atuldifferent@gmail.com
उन्नाव से सम्बंधित ब्लॉग देखकर अतिप्रसन्नता हुई ,मै भी उन्नाव के पुरवा से हूँ |
THANKS APNE JAISHA JILA KAHA AUR HAMAYE JAISE GAO KAHA APAI UNNAO KI BAT SUN AUR PADARIKALA KI TSVIR DEKH BAHUT ACCHA LAGA HAM BHI GAO NAROTTAM PUR JO KI GHATAMPUR KE PAS EK CHOTA SA GAO HAI PAR APNA GAO APNA HI HAI.
THANKS APNE JAISHA JILA KAHA AUR HAMAYE JAISE GAO KAHA APAI UNNAO KI BAT SUN AUR PADARIKALA KI TSVIR DEKH BAHUT ACCHA LAGA HAM BHI GAO NAROTTAM PUR JO KI GHATAMPUR KE PAS EK CHOTA SA GAO HAI PAR APNA GAO APNA HI HAI.
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