नीचे लिखे को भले न पढें इस लेख को अवश्य पढें ।जयदीप डांगी के नाम पाती ..
कलम की ताकत, और उपेक्षा भी हर कालखन्ड में समानान्तर, को लेकर कई सवाल सर उठाते थे, कभी कभी मन में । यह लेख पढ कर तकनीकि प्रतिभा पर भी वैसे ही सवाल खड़े हुये हैं । अब लगता है, वे सवाल, वह द्वंद मात्र कलम का नहीं था, सवाल बड़ा था । समाज के तथाकथित अगुआओं द्वारा हर उस प्रतिभा को जो उन्हे चुनॊती दे सकती है, दे रही है, जो उन नियमों से कहीं भी अलग हो चले, जो उन्हे सही लगे और उन्होने थोपे, ऐसी प्रतिभाओं का दमन आज नहीं सदियों से । आज बस इसका एक अतिविकृत रूप सामने है ।
गुलाम मानसिकता भी परदे मे ही सही पर है अभी भी । पिछलग्गूपन से पीछा छुड़ाना इतना भी मुश्किल नहीं । कुछ नया कुछ अलग कुछ ऐसा जो आज की कम्पयूटर महाशक्तियों के पांव जड़ से उखाड़ फ़ेंकने की सोंच सके । और जब जगदीप डांगी ने इतनी शारीरिक, आर्थिक और ना जाने कितनी मानसिक समस्याओं के बीच रहकर, लड़कर एक तमाचा लगाया इस मानसिकता पर तो, इसका प्रतिफ़ल उन्हे ये मिल रहा है ।
तकनीकि तॊर पर, जगदीप जी का वेब ब्राउसर,(ना मैंने प्रयोग किया है और ना ही कहीं देखा है पर जितना भी पढा (1) (2) (3) उसके आधार पर) कोई बहुत ही नया अविष्कार नहीं है । पर जरा पीछे छिपे तथ्यों को देखिये, जगदीप ने इसे अपने अंग्रेजी भाषा के सीमित ज्ञान के बाद भी, और केवल ब्राउजर ही नहीं सामान्य जन के लिये इसे सरल, सुबोध बनाने के लिये आफ़्लाइन डिक्शनरी भी दी, कई ऐसे फ़ीचर्स जोडे जो ईंटरनेट एक्स्प्लोरर मे नहीं हैं, और यह सब अकेले । ऐसी प्रतिभा को यदि संरक्षण मिले, समय मिले सुविधायें मिलें, क्या नहीं सम्भव है ? क्या नहीं कर दिखायेंगी ऐसी प्रतिभायें ? इतनी समस्याओं असक्षमताऒं और सीमित साधनों में ही जब इतना कर दिखाया और उद्देश्य बस जन कल्याण, इतना समर्पण है कहां आज ? ऐसी प्रतिभा को सुविधायें देना तो दूर उसके प्रयास की उपेक्षा हो रही है, वादे किये गये और भुला दिये गये ।
एक युवा होने के नाते मैं तो ऐसा ही अनुभव करता हूं कि, ऐसा देखकर आगे कौन जगदीप डान्गी बनने को खड़ा होगा । और वह भी ऐसे समय जब मोटे वेतन लिये कितने ही गैर सरकारी, हां विदेशी पीछे खड़े हैं। ना ही इसे मैं गलत समझता हूं और ना ही मैं इससे बच सका हुं । पर, हजारों नये सपने हजारों नये धधकते ज्वालामुखी मन मे लिये ऐसे प्रतिभाशाली युवा जब जानेंगे डांगी के विषय मे तो कौन आगे आयेगा ऐसा कुछ कर दिखाने की ललक लिये । एक अकेले डांगी के साथ नहीं पूरी युवा पीढी को कुछ भी नया, और वह भी जो जन कल्याण की भावना से किया जाये, ऐसा कुछ भी कर सकने से भयभीत करने के सिवा और है क्या ये ?
दुहराऊंगा मानस जी की बात को और यही ईश्वर से प्रर्थना भी है, कि जगदीप जी के नाम मे निहित दीप जलता रहे । पर उनकी हालत पढ कर निराशा हुयी । राजनीति और राजनेताओं पर से विश्वास तो उठ ही चुका है । हां, जनमानस तक यदि एक वैज्ञानिक की, उसकी मेघा के अपमान की और उससे भी अधिक उपेक्षा की सच्चाई पहुंच सके और कोई सामाजिक प्रयास शुरु हो सके तो कोई बड़ी बात नहीं कि, ऐसी प्रतिभाओं के दम हम दुनिया का नक्शा बदल सकने की कूवत रखते हैं ।
हिन्दी ब्लोग जगत के सभी नियन्त्रिक, अनियन्त्रित, शक्तियों, भक्तियों, मेलों हाटों, तश्तरियों, पतीलों, कलशों, हुन्डों, कुल्लह्डों, उन्मुक्तों, बन्धकों, पुजारियों, सरथियों, ड्राइवरों, मेरा पन्ना, तेरा पन्ना , हम सब्का पन्नों सबसे निवेदन है, कि वैचारिक योगदान में तो पीछे ना रहें..कम से कम इस रपट को पढें अवश्य...किसी भी क्रांति से पहले आवश्यक है, वैचारिक क्रांति । विशेषकर पत्रकार और टी वी न्यूज चैनल्स से जुड़े लोगों से कि इसे आम जन तक पहुंचाना सामाजिक कर्तव्य ही नहीं, व्यक्तिगत जिम्मेदारी है ।
और हां विकीपीडिया के इस लेख को भी पढें, यह जानने के लिये कि उन देशों मे जो आज शिखर पर हैं, ऐसी प्रतिभाओं को किस प्रकार संरक्षण और प्रोत्साहन दिया जाता है ।
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2 comments:
मित्र अल्पबुद्धि हूँ, पूरी बात समझ में नहीं आई । जो समझ में आया वह कुछ इस प्रकार है
१ जयदीप जी ने कमप्यूटर सम्बन्धित,विशेषकर हिन्दी सम्बन्धित महत्वपूर्ण काम किया है ।
२ उन्हें इस काम को आगे बढ़ाने में सहायता नहीं मिल रही ।
३ अभी वे बीमार चल रहे हैं और रीनल फेल्यर से पीड़ित हैं । यह बीमारी मेरी जानकारी में जानलेवा हो सकती है ।
अतः मुझे लगता है सबसे पहले हमें उनकी बीमारी से लड़ने में सहायता करनी चाहिये । इसके लिए कोई फंड आदि बनाया जा सकता है किन्तु देर करना उचित न होगा । यदि आप उनके परिवार या मित्रों का पता दें या यदि हस्पताल में सीधे उनके नाम से सहायता भेजने की सुविधा हो तो बताएँ । मैं सीधे मनी आर्डर भेज सकती हूँ । मेरे जैसे अन्य मित्र भी होंगे जो सहायता करना चाहेंगे ।
ऐसे भी मित्र होंगे जो ऐसे काम करने की जानकारी रखते होंगे व जो इसे सुनोयित तरीके से कर सकेँ । किन्तु शुरूआत करने में देर नहीं की जा सकती ।
कृपा कर एक छोटा चिट्ठा हिन्दी ब अंग्रेजी दोनों में लिखें जिससे क्या करना चाहिये समझ में आए ।
बाद में जयदीप जी का काम आगे बढ़ाने में कैसे सहयोग किया जा सकता है इस पर विचार करेंगे ।
घुघूती बासूती
दिल की कलम से
नाम आसमान पर लिख देंगे कसम से
गिराएंगे मिलकर बिजलियाँ
लिख लेख कविता कहानियाँ
हिन्दी छा जाए ऐसे
दुनियावाले दबालें दाँतो तले उगलियाँ ।
NishikantWorld
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